भाई नरेश कुमार ढल जी दिनांक 18-04- 2008 को श्री दीपक सब्बरवाल जी के बुलाने पर आबुदबी गए और वहा पर उन्होंने सब्बरवाल जी के निवास स्थान पर चार दिन का अपना कैम्प लगाया जिसमें हजारो लोगो ने उस कैम्प में हिस्सा लेकर अपनी परेशानियों से निजात पाइ | यही पर दिनांक 21-04-2008 को भाई नरेश जी सेवा करने के बाद जब अपने स्थान पर अन्य लोगो के साथ पहुंचे तो देखा चादर पर सिंदूर फैला हुआ है जबकि वहां पर सिंदूर का कोई नामोनिशान नहीं था इसे देखकर भाई नरेश जी व् अन्य लोग काफी आश्चर्येचाकित हुए यह चमत्कार उनके कीर्तन करने के पश्चात् हुआ
तसवीर में जो अकृतियां बनकर आई उसमें "श्री बाला जी हनुमान जी का बालरूप, हनुमान जी की आकृति, श्री ऒउम, श्री बाला जी के चरण, श्री हनुमान जी की गदा तथा साफ़ हिंदी में "राम" लिखा मिला | भगवान् श्री बालाजी श्री ऒउम श्री राम जी ने खुद वहां पहुच कर उनको उनकी निशकाम सेवा के लिए दर्शन दिए भाई नरेश जी अपने आप को बहुत धन्य मानते है, की प्रभू ने खुद आकर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया ताकि वह इसी तरह अपनी लगन से लोगो की सेवा करते रहे | इस मंदिर में न पैसा चाहिए , और न चाहिए नाम | अपना आशीर्वाद दे के बोलो जय श्री राम